
सूरत (योगेश मिश्रा) शहर के उधना थाने के हेड कांस्टेबल पर बैंक की महिलाकर्मी ने दुष्कर्म और उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। इस प्रकरण में दोनों पक्षों की दो दिनों तक चली लंबी बहस को सुनने के बाद न्यायाधीश एके शाह की अदालत में आरोपी रंजीत सिंह मोरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। केस के विवरण के अनुसार, उधना पुलिस स्टेशन के हेड कांस्टेबल रंजीत सिंह मोरी ने उधना स्थित एक बैंक की असिस्टेंट मैनेजर के साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद उसे धमकाया और एक दुर्घटना कराकर महिला को चोटें भी पहुंचाईं। पुलिस गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी रंजीत ने सूरत सेशंस कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। मूल शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजेन ए. पटेल ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि अगर पुलिस अधिकारी जैसे कानून के जानकार महिलाओं के साथ इस तरह के गंभीर अपराध करते हैं, तो समाज में इसका बहुत गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर आरोपी पुलिस होने के बावजूद, कानून का जानकार होने के बाद भी ऐसे गंभीर अपराध करता है और उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, तो यह समाज में गलत संदेश देगा और शिकायतकर्ता के साक्ष्यों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट के नारायण साईं के फैसलों का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने की अपील की गई थी।
सरकारी वकील तेजस आर. पंचोली ने भी इसी आधार पर तर्क दिए कि आरोपी रंजीत सिंह मोरी के खिलाफ प्रथम दृष्टया गंभीर अपराध दर्ज हुआ है। दोनों पक्षों की आक्रामक दलीलों के बाद, सूरत सेशंस कोर्ट ने अंततः रंजीत सिंह मोरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।