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परमात्मा का शासन सुख के साथ सदगुण देता है : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

एडी न्यूज लाइव

सूरत (योगेश मिश्रा) शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. ने सोमवार 2 सितंबर को कल्पसूत्र पर प्रवचन में कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दौरान हमारे जीवन में वैराध्यना जागा कि आराधना जागा, विपरीत प्रतिकुलता मिलने पर भी अपने अंदर समता भाव बनाए रखा है तो निश्चित रूप से समझना पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई क्रिया नहीं जिसका परिणाम नहीं हो। बाहर के जीवन परिणाम नहीं न मिले, संसार में कोई परिणाम नहीं न मिले, लेकिन आत्मा और अध्यात्म के क्षेत्र में परिणाम मिलता ही है। जब तक उन क्रिया के मूल निमित्त को समाप्त न कर दिया जाए, प्रायश्चित के द्वारा उस दाग को धो नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि कल्पसूत्र की अपनी मर्यादा है क्योंकि वह अगम है। वह परमात्मा की मूल वाणी है। परमात्मा में, परमात्मा की वाणी में और परमात्मा की प्रतिमा में तीनों में एक समानता है। पुण्य और पुरूषार्थ जब दोनों मिलते है तो तब साधना फलिभूत होती है। पुण्य भी कोई काम का नहीं और अकेला पुरूषार्थ भी कोई काम का नहीं। दोनों के संगम जरूरी है। 45 आगमों सबसे महान आगम भगवती सूत्र है। जिसमें 36 हजार प्रश्न है और परमात्मा द्वारा दिए गए समाधान है। सबसे ज्यादा सोने से लिखा गया शास्त्र अगर उपलब्ध है तो वह है कल्पसूत्र। सबसे ज्यादा टिकाएं जिस पर लिखी गई, टिकाओं का अर्थ होता है व्याख्या, विवेचना। उन्होंने कहा कि साधु की चादर बड़ी उजली होती है, साधु की चादर कभी मेली नहीं होती। साधुओं की आचार, आचरण, आध्यात्म, आत्मा की चादर उजली है। सभी के घरों की एक नियमावली होनी चाहिए, जिसका सभी सदस्यों ने पालन करना चाहिए। उन्होंने गृहस्थ और श्रावक में अंतर बताते हुए कहा कि अगर किसी भी प्रकार की मर्यादा नहीं है तो समझो आप गृहस्थ है। श्रावक वह है जो परमात्मा की आज्ञा का पालन करता है। वह श्रावक कहलाता है। कल्पसूत्र मर्यादा की पोथी है। परमात्मा का शासन केवल सुख नहीं देता परमात्मा का शासन सदगुण देता है। सुख सद्गुणों का परिणाम है। बाहर का सुख दु:खदायक है। उल्लास हो तभी उपवास होता है, उल्लास के बिना उपवास भी नहीं।खररगछ युवा परिषद के अध्यक्ष मनोज देसाई ने बताया कि आज सारे तपस्वियों की सामूहिक सांझी और मेहंदी का सगीतमय कार्यक्रम रखा गया था।दिनाक 04.09.2024 को भगवान महावीर वांचन का कार्यकम गुरुदेव की निश्रा में आयोजित होगा।

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