
सूरत (योगेश मिश्रा) शहर में एक महिला ने घरेलू हिंसा के मामले में अपने पति के खिलाफ गुजारा भत्ता के अलावा दो रूम किचन वाला एक फ्लैट, डिलीवरी खर्च और बच्चे की नर्सरी की फीस की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट में पति पक्ष ने दलील दी कि पत्नी शिक्षिका है, अच्छी तनख्वाह पाती है और करियर ओरिएंटेड महिला है। वह खुद अपने खर्च उठाने में सक्षम है, इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाए।
कोर्ट ने पति पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। पति की ओर से एडवोकेट प्रीति जोशी ने पक्ष रखा। जानकारी के अनुसार, रांदेर रोड निवासी राधिका (बदला हुआ नाम) की शादी भरूच निवासी राकेश (बदला हुआ नाम) से हुई थी। शादी के बाद सब कुछ सामान्य चल रहा था और दंपती को एक पुत्र भी हुआ। विवाह से पहले राधिका एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत थी और शादी के बाद भी नौकरी जारी रखना चाहती थी। लेकिन स्कूल घर से दूर था, जिससे आने-जाने में परेशानी होती थी।
इसलिए वह पति पर सूरत में स्थायी रूप से बसने का दबाव बना रही थी। नौकरी के बाद महिला ज्यादातर समय मायके में बिताती थी, जिससे पति-पत्नी के बीच लगातार झगड़े होते रहते थे। मायके जाने के बाद ससुराल जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने पति पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया और गुजारा भत्ता की मांग की।
पत्नी स्वयं सक्षम, इसलिए भरण-पोषण की हकदार नहींः पति की दलील पति की ओर से
कोर्ट में तर्क दिया गया कि पत्नी शिक्षिका है और अच्छी कमाई करती है, इसलिए वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है। पति ने कोई अत्याचार नहीं किया है, इसलिए वह किसी प्रकार की आर्थिक सहायता की हकदार नहीं है। कोर्ट ने पति की दलील स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।