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लो जी अब एक और मुन्ना भाई एमबीबीएस BHMS डिग्री घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, 58 फर्जी सार्टीफिकेट बना चुका

सूरत, राजकोट और अहमदाबाद सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी फर्जी डॉक्टरों ने क्लिनिक खोले थे आरोपी ने फर्जी डिग्री तैयार करने की बात कबूल की

सूरत (योगेश मिश्रा) बीइएमएस की फर्जी डिग्री बनाने के बाद अब एक नया मामला सामने आया है जिसमें गुजरात में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र को हिला देने वाले बीएचएमएस (BHMS) फर्जी डिग्री कांड में बड़ा खुलासा सामने आया है। सूरत का निवासी विजय बोरोले, जो बीते पांच वर्षों से फरार था, आखिरकार कानून के शिकंजे में आ गया है। विजय पर आरोप है कि उसने राज्यभर के अलग-अलग शहरों में करीब 58 लोगों को फर्जी BHMS (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री बेचकर उन्हें अवैध रूप से डॉक्टर बना दिया। इस घोटाले का पर्दाफाश सबसे पहले नडियाद के बास्का गांव में हुआ था, जहां एक दंपती फर्जी डिग्री के आधार पर मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे थे। जांच जैसे जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इस गोरखधंधे की परतें खुलती गईं। आरोपी विजय बोरोले बाबासाहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी (बिहार) के नाम से नकली डिग्रियां तैयार करवाता था और इन्हें बेचकर 4 से 9 लाख रुपए तक वसूलता था। इन डिग्रियों के आधार पर कई लोगों ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल की होम्योपैथी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था। पुलिस के मुताबिक, विजय की गिरफ्तारी से इस गोरखधंधे में शामिल अन्य लोगों की भी पहचान होने की उम्मीद है। फिलहाल आरोपी को CID क्राइम गांधीनगर को सौंप दिया गया है और उससे गहन पूछताछ की जा रही है। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि कुल 58 डॉक्टरों की डिग्रियां नकली थीं। हैरानी की बात यह थी कि फर्जी डॉक्टरों का यह जाल पूरे राज्य में फैला हुआ था। सूरत, राजकोट और अहमदाबाद सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन नकली डिग्रियों के जरिए झोला छाप डॉक्टरों ने क्लिनिक खोल रखे थे और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। इन फर्जी डिग्रियों के लिए उम्मीदवारों से लाखों रुपए वसूले जाते थे। गिरोह के लोगों ने डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले लोगों से साढ़े चार लाख से लेकर नौ लाख रुपए तक की मोटी रकम लेकर बाबासाहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी, बिहार के नाम से फर्जी डिग्रियां जारी कीं। इन डिग्रियों के आधार पर उम्मीदवारों का पंजीकरण अहमदाबाद सिविल अस्पताल स्थित काउंसिल ऑफ होम्योपैथी में भी करा दिया जाता था, जिससे इनकी वैधता पर कोई शक नहीं होता था और अन्य एजेंसियां भी कार्रवाई करने से कतराती थीं। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ये डिग्रियां पूरी तरह फर्जी थीं। जब बाबासाहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इन डिग्रियों को जारी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद जांच में तेजी आई और विजय बोरोले की भी इस गोरखधंधे में संलिप्तता सामने आई। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह हाईकोर्ट तक गया, लेकिन आखिरकार एसओजी ने उसे गिरफ्तार कर सीआईडी क्राइम, गांधीनगर को सौंप दिया। आरोपी ने पूछताछ में यह भी स्वीकार किया कि वह नकली डिग्री सर्टिफिकेट बनाकर देता था।

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