
सूरत (योगेश मिश्रा) शहर में साइबर क्राइम सेल ने एक चौंकाने वाला मामला सुलझाया है, जिसमें एक वरिष्ठ नागरिक को डेढ़ महीने तक वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट कर उनसे जबरन 1 करोड़ 5 लाख रुपए वसूले गए थे। खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआई का अधिकारी बताकर ठगों ने वीडियो कॉल कर पीड़ित को यह बताया कि उनके ऊपर 6.89 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है, जिसमें उनके आईसीआईसीआई बैंक मैनेजर संदीप कुमार को गिरफ्तार किया गया है, और उन्होंने अदालत में पीड़ित का नाम लिया है। ठगों ने दावा किया कि अगर पीड़ित इस मामले में दोषी नहीं हैं तो 48 घंटे में उन्हें आरबीआई की ओर से सारी राशि लौटा दी जाएगी। इसके बहाने पीड़ित की बैंक खातों की पूरी जानकारी हासिल कर ली गई और उन्हें अलग-अलग बैंक खातों में कुल 1.05 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने पर मजबूर किया गया। पीड़ित ने 5 मार्च 2025 को साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, सूरत शहर में बीएनएस और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
अहमदाबाद भेजी टीम | जांच के दौरान बैंक खातों की जानकारी और तकनीकी पहलुओं के आधार पर आरोपियों की तलाश कर साइबर क्राइम सेल की टीम को अहमदाबाद भेजा गया। वहां से फरार चल रहे आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों में नरेशभाई हीराभाई चौहान, संजयकुमार वालजीभाई सोलंकी, अब्दुलरहमान इदरीश शेख और हर्ष परमार शामिल हैं। इस मामले में पहले ही दो आरोपी कैलासबेन अनिलभाई भंडेरी और ऋद्धेश रमेशभाई अंटाला गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
डिजिटल अरेस्ट कर 20.50 लाख रुपए ऐंठने वाले गिरोह के 7 सदस्य गिरफ्तार
सूरत शहर साइबर क्राइम सेल ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 20.50 लाख रुपए की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया। गिरोह के सात सक्रिय सदस्यों को जामनगर से गिरफ्तार किया गया है, दो आरोपी पहले से ही पकड़े जा चुके हैं। जालसाजों ने पीड़ित को ब्लू डार्ट कूरियर कंपनी और मुंबई क्राइम ब्रांच से कॉल कर खुद को अधिकारी बताया। कहा गया कि पीड़ित के नाम से मुंबई से बैंकॉक भेजे गए एक पार्सल में पांच पासपोर्ट, तीन एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप, चार किलो कपड़े और 140 ग्राम ड्रग्स पाए गए हैं। यह भी कहा गया कि उसके आधार कार्ड और सिम कार्ड से बैंक खाते खुले हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स से जुड़ा लेनदेन हुआ है। पीड़ित को सीबीआई के फर्जी लेटर, हस्ताक्षर और सील के साथ भेजकर धमकाया गया कि अगर वह सहयोग नहीं करेगा तो उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा।