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पांडेसरा में पकड़े जाने के दो दिन बाद ही फर्जी डॉक्टरों ने शुरू कर दिया इलाज, क्योंकि कोई सख्त कानून ही नही

एडी न्यूज लाइव

सूरत (योगेश मिश्रा) शहर में फर्जी डॉक्टरों की भरमार है। ये बेरोक- टोक मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। इन्हें रोकने के लएि कोई सख्त कानून नहीं होने से ये पकड़े जाने पर भी कुछ ही देर में छूट जाते हैं। पिछले मंगलवार को पांडेसरा इलाके से 15 फर्जी डॉक्टरों को पकड़ा गया था। इन्हें महज 15 घंटे में जमानत मिल गई। इन फर्जी डॉक्टरों ने जमानत पर छूटने के बाद फिर से इलाज करना शुरू कर दिया। ये मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन प्रशासन लाचार है। फर्जी डॉक्टरों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 125 और गुजरात मेडिकल प्रैक्टिसनर एक्ट 1963 की धारा 30 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। ये धाराएं जमानती हैं, इसलएि कुछ घंटों में वे छूट जाते हैं। छूटने के बाद ये बेखौफ मरीजों की जान जोखिम में डालना शुरू कर देते हैं। ऐसे डॉक्टर्स पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट अभी लागू नहीं हुआ है। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब फर्जी डॉक्टर पकड़े गए हो और उन्हें बेल मिल गया हो। इससे पहले 31 जुलाई को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने पांडेसरा और डिंडोली से 16 फर्जी डॉक्टर पकड़े थे। मंगलवार को पांडेसरा पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर जिन 15 डॉक्टरों को पकड़ा था, उन सभी को जमानत मिल गई है। अमरेश दर्पण समाचार रिपोर्टर ने ऐसे कुछ डॉक्टरों के क्लीनिकों पर जाकर पड़ताल की तो पता चला कि अधिकतर ने फिर से अपना क्लीनिक खोल दिया है।

शहर में फर्जी डॉक्टरों की भरमार है। अभी तक ऐसा कोई कड़ा कानून नहीं है, जो फर्जी डॉक्टरों को रोक सके। में अभी तक कोई ऑर्डर जारी नहीं हुआ है। इस कानून के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के डॉक्टर का प्रेक्टिस करना अपराध माना जाएगा। पांडेसरा कैलाश चौकड़ी के पास गीतानगर-3 में प्लॉट नंबर 442 दुर्गा क्लिनिक चलाने वाला डॉक्टर भी पकड़ा गया था। गुरुवार दोपहर 12:43 बजे पर उसका क्लिनिक खुला मिला है। अंदर एक-दो लोग बैठे बातचीत कर रहे थे।

जिनके पास डॉक्टर की डिग्री नहीं होगी वे रजिस्ट्रेशन भी नही करा पाएंगे। फिलहाल अभी कोई कड़ा कानून नहीं होने फर्जी डॉक्टरों को जमानत मिल जाती है। एलोपैथिक डॉक्टरों का नेशनल मेडिकल कमीशन से रजिस्ट्रेशन होता है, जबकि फर्जी डॉक्टरों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता।

• फर्जी डॉक्टर के वेरिफिकेशन के लिए पुलिस हमारी टीम को लेकर जाती है। हमारे डॉक्टर क्लिनिक के सभी मापदंड को देखते हैं और पुलिस को बताते हैं। इसके अलावा हमारे पास और कोई अधिकार नहीं है। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के लागू होने के बाद हमें कार्रवाई करने का अधिकार -डॉ. अनिल देसाई, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

जो अधिकार था उसी के अनुरूप कुछ नहीं कर सकते।हमने मामला दर्ज किया। हम इसके आगे -एचएम गढ़वी, इंस्पेक्टर, पांडेसरा थाना

सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 125 और गुजरात मेडिकल प्रैक्टिसनर एक्ट 1963 की धारा 30 के तहत मामला दर्ज किया गया। धाराएं जमानती होने से उन्हें 15 घंटे बाद छोड़ दिया गया। 

पांडेसरा के गीतानगर में बमरोली रोड पर प्लॉट नंबर 44 में स्थित महालक्ष्मी क्लिनिक का डॉक्टर भी मंगलवार को पकड़ा गया था। इसका क्लीनिक गुरुवार को खुला हुआ था। फिलहाल शाम 5 बजे यहां मरीज नहीं दिखे, लेकिन अंदर एक-दो लोग चर्चा करते नजर आए।

पाडेसराः कैलाश चौकड़ी के पास का दुर्गा क्लिनिक बंद था, दो दिन बाद फिर खुल गया । अभी इन कानूनों के तहत की जाती है कार्रवाई

अभी फर्जी डॉक्टरों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 125 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें अगर कोई व्यक्ति किसी की जान या सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालता है, उसके कार्यों से किसी को शारीरिक-मानसिक नुकसान पहुंचने का खतरा होता है, तो अपराध माना जाता है। इस धारा के तहत, 3 साल तक की जेल या 1000 रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह अपराध संज्ञेय और जमानती है। जबकि गुजरात मेडिकल प्रैक्टिशनर एक्ट, 1963 की धारा 30 के मुताबिक, अपंजीकृत या सूचीबद्ध नहीं होने वाले लोगों को चिकित्सा व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है।

3 पांडेसरा के सुखी नगर में प्लॉट न 499 में स्थित परमहंस क्लिनिक चलाने वाल डॉक्टर भी पकड़ा गया था। गुरुवार दोपहर 1.08 बजे पर क्लिनिक तो बंद था, लेकिन बोर्ड पर दिए गए मोबाइल नंबर पर रिपोर्टर ने मरीज बनकर बात की और कहा कि मुझे रात से ही बुखार और पेट दर्द की शिकायत है। दवा चाहिए, लेकिन आपका क्लिनिक बंद है, आप कब मिलेंगे ? उधर जवाब मिला कि अभी मैं खाना खाने आया हूं। शाम को आ कानूनः फर्जी डॉक्टरों पर बीएनएस की धारा 125 और गुजरात मेडिकल प्रैक्टिसनर एक्ट की धारा 30 लगाई गई, जिसमें मिल जाती है जमानत ।

गीतानगरः मंगलवार को पकड़ा गया, गुरुवार 1 को क्लिनिक खोलकर इलाज करने लगा । क्लिनिकल एस्टेब्लिस्टमेंट एक्ट का आदेश नहीं आया ।-डॉ. विनेश शाह, सेक्रेटरी, सूरत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

कानूनः फर्जी डॉक्टरों पर बीएनएस की धारा 125 और गुजरात मेडिकल प्रैक्टिसनर एक्ट की धारा 30 लगाई गई, जिसमें मिल जाती है जमानत

गीतानगरः मंगलवार को पकड़ा गया, गुरुवार 1 को क्लिनिक खोलकर इलाज करने लगा

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