
सूरत (योगेश मिश्रा) शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने मंगलवार 17 सितंबर को प्रवचन में कहा कि चौथे अध्ययन में हमें जीवन व्यवस्था, जीवन की यथार्थ को समझाता है। हम अपना पूरा जीवन दु:ख को मिटाने में पूरा कर देते है। सुख तो मिलता नहीं। दु:ख को लगातार बनाये रखना यह मनी की व्यवस्था है। व्यक्ति प्रपंच में हमेशा उलझा रहता है। आचार्यश्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि शॉपनर के बिना पेन्सिल का अस्तित्व नहीं है। स्वयंम के जीवन को आदर्श बनाना है तो जीवन में एक शॉपनर तय कर लो। कल्याणक मित्र गुरू भगवंत होते है। मन पेन्सिल है, मन को छिलने के लिए योग्य गुरू जरूरी है। योग्य गुरू से ही जीवन उपयोगी बनता है। मां- गुरू महाराज जीवन में शॉपनर है। इतिहास में जीतने भी महान व्यक्ति हुए वह किसी न किसी शॉपनर्स के जरिए ही हुए। उन्होंने कहा कि हमार भाव साधना के बजाय सुविधा के प्रति लगाव ज्यादा है। आज श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल द्वारा चेन्नई, रायपुर सहित शहरों से आए महानुभावों का बहुमान किया गया। चैत्य परिपाटी का आयोजन गुरुवार 19 सितंबर को होगा। ये चैत्य परिपाटी कुशल कांति खरतरगच्छ जैन भवन से सुबह 5.30 बजे रवाना होगी और मकनजी पार्क होते हुए सहस्त्रफणा मंदिरजी गोपीपुरा एवं हरीपुरा दादावाड़ी जायेगी। वहां पर सुबह की नवकारसी का आयोजन होगा।