
सूरत (योगेश मिश्रा) शहर में करोड़ों की ठगी के मामले में छह महीने से जेल में बंद उमर पीला की शिकायत पर मेमण समाज के प्रमुख और एक यूट्यूब चैनल के पत्रकार की गिरफ्तारी करने वाली अठवालाइंस पुलिस को कोर्ट में फटकार लगी। कोर्ट में पेशी के दौरान वरिष्ठ वकील केतन रेशमवाला और जफर बेलावाला ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन होने की दलील दी, जिससे पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा। जानकारी के अनुसार, मेमण समाज के अग्रणी और G-24 नामक यूट्यूब चैनल चलाने वाले रऊफ बॉम्बेवाला, उनके रिपोर्टर अजहर कुरैशी और प्रकाशवाला के खिलाफ उमर पीला नामक व्यक्ति ने अठवालाइंस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि 4 मार्च 2025 को चैनल मालिक और रिपोर्टर ने झूठी खबर चलाने और शहर में चल रहे निर्माण कार्यों को उजागर कर उन्हें तुड़वाने की धमकी दी थी। शिकायत दर्ज होते ही अठवालाइंस पुलिस ने रऊफ बॉम्बे वाला और अजहर कुरैशी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि प्रकाश वाला की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी। लेकिन जब गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, तो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के उल्लंघन का मुद्दा उठाया।
वकीलों ने सुको की गाइडलाइंस का हवाला दिया, शिकायतकर्ता खुद करोड़ों की ठगी का आरोपी
वरिष्ठ वकील केतन रेशमवाला और जफर बेलावाला ने दलील दी कि 7 साल से कम सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी से पहले नोटिस देना जरूरी होता है, लेकिन पुलिस ने जल्दबाजी में बिना नोटिस जारी किए गिरफ्तारी कर ली। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए पुलिस से जवाब मांगा। जब सब-इंस्पेक्टर झाला सही जवाब नहीं दे पाए, तो कोर्ट ने आरोपियों को तुरंत जमानत दे दी। चौटाबाजार में “सिल्की” नाम की फर्म से करोड़ों का कपड़ा खरीदने वाले उमर पीला ने इसके मालिक इमरान मेमन से 65 लाख रुपए में चार दुकानें दिलाने का वादा किया था, लेकिन ये दुकानें किसी और की निकलीं, जिससे इमरान के पैसे फंस गए। इसके अलावा, 1.51 करोड़ रुपए का खरीदा हुआ कपड़ा भी हड़प लिया गया, जिससे कुल ठगी का आंकड़ा 2 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया। इतना ही नहीं, अडाजन के एक डॉक्टर से भी उमर पीला ने 5 करोड़ रुपये की ठगी की थी, जिसके चलते वह पिछले 6 महीने से जेल में था और एक हफ्ते पहले ही जमानत पर बाहर आया था।